बुधवार, 30 दिसंबर 2015

एक नज़र बीते साल की यात्राओं पर .. Flashback 2015

पिछले साल से विदा लेने का वक़्त लगभग आ पहुँचा है। आपका ये यात्रा ब्लॉग भी अपने आठवें साल में प्रवेश कर जाएगा नई जगहों को आपके सामने प्रस्तुत करने के लिए। तो आगे बढ़ने के पहले एक नज़र गुजरे साल पर।
आपको याद होगा कि साल की शुरुआत मैंने दक्षिणी थाइलैंड के लोकप्रिय समुद्र तटीय शहर फुकेत से की थी। फुकेत शहर के रहन सहन, धर्म, खान पान और नाइट लाइफ के बारे में तो आपको बताया ही था। साथ ही आप मेरे साथ जा पहुँचे थे जेम्स बांड द्वीप पर। पर अपनी फुकेत यात्रा में जिस स्थान ने मेरे दिल में जगह बनाई थी वो थी फी फी द्वीप की यात्रा..

Phi Phi Island, Phuket, Thailand

सोमवार, 21 दिसंबर 2015

आइए चलें बीहड़ों के बीच चंबल नदी में नौका विहार पर An evening in River Chambal !

चंबल के इलाके का नाम सुनकर आपमें से ज्यादातर के मन में दस्यु सरदारों और खनन माफ़िया का चेहरा ही उभर कर आता होगा। अब इसमें आपकी गलती भी क्या सालों साल प्रिंट मीडिया में इस इलाके की ख़बरों में मलखान सिंह व फूलन देवी सुर्खियाँ बटोरते रहे और आज भी ये इलाका बालू व पत्थर के अवैध खनन करने वाले व्यापारियों से त्रस्त है।

Nandgaon Ghat, Chambal

इन सब के बीच चुपचाप ही बहती रही है चंबल नदी। ये चंबल की विशेषता ही है कि मानव के इस अनाचार की छाया उसने अपने निर्मल जल पर पड़ने नहीं दी है और इसी वज़ह से इस नदी को प्रदूषण मुक्त नदियों में अग्रणी माना जाता है। पर अचानक ही मुझे इस नदी की याद क्यूँ आई? दरअसल इस नदी से मेरी पहली मुलाकात अक्टूबर के महीने में तब हुई जब मैं यात्रा लेखकों के समूह के साथ आगरा से फतेहाबाद व इटावा के रास्ते में चलते हुए चंबल नदी के नंदगाँव घाट पहुँचा।

Map showing trajectory of River Chambal near UP-MP border

वैसे नौ सौ अस्सी किमी लंबी चंबल नदी खुद भी एक घुमक्कड़ नदी है। इंदौर जिले के दक्षिण पूर्व में स्थित विंध्याचल की पहाड़ियों  से निकल कर पहले तो उत्तर दिशा में मध्यप्रदेश की ओर बहती है और फिर उत्तर पूर्व में घूमकर राजस्थान में प्रवेश कर जाती है। राजस्थान व मध्य प्रदेश की सीमाओं के पास से बहती चंबल का उत्तर पूर्व दिशा में बहना तब तक ज़ारी रहता है जब तक ये उत्तर प्रदेश तक नहीं पहुँचती। यमुना को छूने का उतावलापन इसकी धार को यूपी में उत्तर पूर्व से दक्षिण पूर्व की ओर मोड़ देता है।

Chambal's Ravine

अक्टूबर के पहले हफ्ते में दिन के करीब साढ़े ग्यारह बजे हम आगरा शहर से निकले। एक तो आगरा शहर के अंदर का ट्राफिक जॉम और दूसरे आगरा फतेहाबाद मार्ग की बुरी हालत की वज़ह से सत्तर किमी का सफ़र तय करने में हमे करीब ढाई घंटे लग गए। आगरा से सत्तर किमी दूरी पर चंबल सफॉरी लॉज में हमारी ठहरने की व्यवस्था हुई थी। हरे भरे वातावरण के बीच यहाँ के जमींदारों की प्राचीन मेला कोठी का जीर्णोद्वार कर बनाया गए इस लॉज को सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाया गया है। दिन का भोजन कर थोड़ा सुस्ताने के बाद हम चंबल नदी के तट पर नौका विहार का लुत्फ़ उठाने के लिए चल पड़े।

मुख्य सड़क से नंदगाँव घाट जाने वाली सड़क कुछ दूर तो पक्की थी फिर बिल्कुल कच्ची। अब तक चंबल के बीहड़ों को फिल्मों में देखा भर था। पर अब तो सड़क के दोनों ओर मिट्टी के ऊँचे नीचे टीले दिख रहे थे। वनस्पति के नाम पर इन टीलों पर झाड़ियाँ ही उगी हुई थीं। बीहड़ का ये स्वरूप बाढ़ और सालों साल हुए भूमि अपरदन की वज़ह से बना है।

The dusty track to River Chambal

रविवार, 13 दिसंबर 2015

हरियाली डफरिन द्वीप और उसके आस पास के इलाकों की Dufferin Islands, Niagara Falls

नियाग्रा के जलप्रपत से पहले यानि दक्षिण की ओर बढ़ने से एक बेहद हरा भरा इलाका आ जाता है। इस इलाके के बायीं ओर खूबसूरत उद्यान हैं तो दायीं ओर नियाग्रा नदी की जलधारा से बने छोटे मोटे द्वीप जिन्हें डफरिन द्वीप समूह कहा जाता है। इससे पहले कि मैं आपको यहाँ की मन मोहने वाली हरियाली के दर्शन कराऊँ कुछ बातें इसके इतिहास के बारे में। 

Maple Tree मेपल का वृक्ष जो निशानी है कनाडा की
उन्नीस वीं शताब्दी की शुरुआत तक इस इलाके की तरफ़ नियाग्रा नदी की चट्टानीय ढलान होने के कारण पानी बह कर छोटे छोटे द्वीपों में बँट जाता था। बाद में यहाँ एक बिजली घर बनने के बाद पानी की धारा धीमी और बेतरतीब हो गई। पर यहाँ की मिट्टी ने ऐसी परिस्थितियों में वनस्पतियों का ऐसा जाल अपने चारों ओर बुना कि इसके बीच से होकर गुजरना किसी भी आगुंतक के लिए प्रकृति को अपने में समाहित करने का अहसास दिला जाता है।

Route of Niagara Falls to Dufferin Islands
अगर नियाग्रा जाएँ और जलप्रपात के आस पास की भीड़ से आपका दिल उब जाए तो चुपचाप जलप्रपात को पार कर नियाग्रा नदी के किनारे किनारे करीब डेढ़ किमी आगे बढ़िए। इस सड़क पर आपको दायीं ओर डफरिन द्वीपों की ओर जाने का रास्ता मिलेगा।


एक बार आपने पानी की पतली धारा के ऊपर बना लकड़ी का पुल पार किया कि आप इस हरी भरी शांत दुनिया में प्रवेश कर लेंगे। जैसे ही हम इस इलाके में घुसे देखिए किसने हमारा प्यार भरा स्वागत किया।

Kids enjoying their evening walk बच्चों की शाम की सैर :)

गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

पोर्ट कोलबर्न : कारों की रंगारंग प्रदर्शनी और वो अनूठा रेस्त्राँ ! Port Colborne,Ontario, Canada

नियाग्रा से 34 किमी की दूरी पर कस्बा है पोर्ट कोलबर्न का। नियाग्रा में रहते हुए हमारे मेजबान हमें लेक एरी पर बसे इस छोटे से कस्बे में ले गए। ये सफ़र मेरे लिए इसलिए भी ख़ास रहा क्यूँकि कनाडा में पहली बार हम ऐसी जगह में थे जहाँ विदेशी पर्यटक कम ही जाते हैं। लिहाज़ा वहाँ के लोगों की ज़िंदगी को पास से देखने का एक छोटा ही सही पर अवसर हमें मिला।

जिस शाम हम वहाँ पहुँचे उस दिन वहाँ पुरानी कारों की प्रदर्शनी लगी थी। सप्ताह में एक दिन लोग बाग पचास व साठ के दशक की अपनी पुरानी कारों को चमका कर वहाँ लाते हैं और फक़्र से उसे सड़क के किनारे खड़ा कर अन्य कार प्रेमियों से गपशप में मशगूल हो जाते हैं। यानि एक जैसे शौक़ रखने वालों के लिए कुछ पल साथ बिताने का ये अच्छा मौका हो जाता है। तो चलिए आज आपको दिखाते हैं कि कनाडा की इन नई  पुरानी कारों को जो उस दिन हमारे सामने नई नवेली दुल्हनों की तरह सज सँवर कर खड़ी थी..

Port Colborne, Niagara, Canada
पोर्ट कोलबर्न नियाग्रा के दक्षिणी तट पर बसा एक छोटा सा कस्बा



यहाँ भारत में हम इतने ही आकार में अंबेसडर बनाकर उसमें दर्जन भर लोगों को घुसा लें। पर यहाँ तो लंबाई व तीखे नैन नक़्श वाली इक कारों में बताइए सिर्फ दो ही लोग बैठ सकते थे।