सोमवार, 30 सितंबर 2013

तोक्यो दर्शन : इलेक्ट्रिक टाउन , स्काई ट्री,शाही बाग और जापानी संसद (Akihabara Electric Town, Asakusa, Tokyo Sky Tree, Diet & Imperial Garden)

तोक्यो दर्शन में अब तक आपने शिंजुकु की गगनचुंबी इमारतें और जापान की राजधानी में रात की चकाचौंध देखी । साथ ही यहाँ की प्रसिद्ध नाइट लाइफ से जुड़े मेरे अनुभवों को पढ़ा। आज आपको लिए चलते हैं तोक्यो के दो नामी इलाकों अकिहाबारा ( Akihabara ) और असाकुसा ( Asakusa ) की सैर पर। शिंजुकु के मेट्रोपॉलिटन टॉवर से तोक्यो का विहंगम दृश्य देख लेने के बाद हमने स्टेशन से Akihabara की लोकल ट्रेन पकड़ी। Akihabara या संक्षेप में 'Akiba' कहे जाने वाले इलाके को तोक्यो में इलेक्ट्रिक टाउन के नाम से जाना जाता है। जापानी भाषा में Akihabara का अर्थ है 'Field of Autumn Leaves'. 

अब अकिहाबारा का ये नाम कैसे पड़ा ये तो मालूम नहीं पर सारे सैलानी इलेक्ट्रानिक सामानों की खरीदारी के लिए यहीं पहुँचते हैं। मैं अपने एक मित्र के साथ जब यहाँ पहुँचा तो उस वक़्त दिन के एक बज रहे थे। स्टेशन से निकलते ही बड़ी बड़ी रंग बिरंगी होर्डिंगों से सुसज्जित दुकानों की लंबी कतारें दिखीं। एक और तो बड़े बड़े ब्रांड को एक ही छत के अंदर बेचने वाले विशालकाय शोरूम थे तो दूसरी ओर किसी एक खास उत्पाद से जुड़ी छोटी छोटी दुकानें। हम कम्पयूटर हार्डवेयर से जुड़ी कुछ छोटी दुकानों में घुसे । कीमतें भारतीय कीमतों से कम कहीं नज़र नहीं आयीं। हम विंडो शॉपिंग कर ही रहे थे कि अचानक हमें एक दुकान पर दो दक्षिण भारतीय युवा दिखे। जैसा कि हमने पिछली रात किया था, उनसे परिचय लेने के बाद हमने आस पास कही भारतीय रेस्त्राँ होने की बात पूछी। उन्होंने जो रास्ता बताया हम उसी पर चल पड़े।


कुछ ही देर में हम Yadobashi के इस विशाल आठ मंजिला शो रूम के सामने थे। Yadobashi Camera के जापान में कुल 21 स्टोर हैं और ये आधुनिक इलेक्ट्रानिक उत्पादों को सही कीमत पर खरीदने के लिए जापान के अग्रणी स्टोरों में से एक माना जाता था। हमारा भारतीय  भोजनालय भी इसके सबसे ऊपरी तल्ले पे था। सो हमने सोचा कि भोजन करने के बाद इसके सारे तल्लों को एक बार घूम कर देखा जाएगा। नॉन, दाल और सब्जी का जायका लेने के बाद हमने एक घंटे से कुछ ज्यादा का समय इस स्टोर में बिताया। कंप्यूटर, कैमरे और तमाम इलेक्ट्रानिक उपकरणों का जो जख़ीरा यहाँ देखने को मिला वो मैंने तो पहले कभी नहीं देखा था। कल्पना कीजिए की एक  मोटराइज्ड टूथब्रश जो मुँह के अंदर जाते ही अपने आप ही आपके दाँतों की सफाई करे। एक कुर्सी जो आपको बैठाने के आलावा आपके अंग अंग की मालिश करे और ना जाने कितने और उत्पाद जिनके प्रयोग के बारे में हम समझ नहीं सके। ख़ैर  हमने छिटपुट खरीदारी की और वहाँ से निकल कर असाकुसा की ओर चल पड़े।


असाकुसा की ये इमारत अपने विलक्षण आकार की वज़ह से तुरंत ध्यान खींचती है। दरअसल ये असाकुसा का सांस्कृतिक सूचना केंद्र  ( Asakusa Cultural Information Center) है जिसे पिछले साल यानि 2012 में बनाया गया है।


असाकुसा में टहलते हुए इस इमारत ने भी ध्यान खींचा। पहले इसके गेट को देख कर मंदिर होने का आभास हुआ। अब एक भारतीय मन दरवाजे पर गाय की प्रतिमा देख कर और क्या समझे ? पर बगल की अंग्रेजी तख्ती पर जानवरों का अस्पताल लिखा देख भ्रम की स्थिति बनी रही।


असाकुसा स्टेशन के पास से यहाँ  की Sumida नदी बहती है और वहीं पर मोटरबोट से नदी में सैर की व्यवस्था है। अमूमन पन्द्रह मिनट से लेकर पौन घंटे की सैर में नदी के दोनों ओर बनी ऊँची ऊँची इमारते ही दिखाई पड़ती हैं। ऐसी एक यात्रा आपकी जेब को पाँच सौ से आठ सौ रुपयों तक हल्का कर सकती है।

वैसे इस नौकाविहार का सबसे आकर्षक दृश्य असाकुसा के पास ही दिखाई पड़ता है। जब नवनिर्मित स्काई ट्री के साथ Asahi Beer की इमारत भी नज़र आती है। इस इमारत की ख़ासियत ये है कि इसका आकार बीयर के गिलास की तरह है जिसके ऊपर 360 टन की स्वर्णिम संरचना बीयर के हृदय की आग और उफनते फेन का परिचायक है। इसीलिए 1989 में बनी इस सुनहरी काया का इसके फ्रेंच डिजाइनर ने नाम रखा Flamme d'Or।


तोक्यो स्काई ट्री जापान का सबसे ऊँचा टॉवर है। 634 मीटर ऊँचे इस टॉवर में दो Observation Decks हैं। एक की ऊँचाई 350 मीटर और दूसरे की 450 मीटर है। स्काई ट्री का निर्मार्ण टेलीविजन संकेतों के प्रसारण के लिए किया गया। समयाभाव के कारण मैं ना तो स्काई ट्री के ऊपर वढ़ा और ना ही नदी में मोटरबोट के जरिए घूम पाया। पर सेन्सो जी मंदिर और असाकुसा की गलियों में चक्कर काटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अगली सुबह हम तोक्यो स्टेशन से जापान के धार्मिक शहर क्योटो की ओर कूच करने के लिए तैयार थे।

तोक्यो स्टेशन के ठीक पहले ही हमें यहाँ के सम्राट के लिए बनाए गए महल के पास वाले हिस्से से गुजरे।  महल के चारों ओर सुरक्षा के लिए बनाई गई बावड़ी है जिसके ऊपर महल के भिन्न दरवाजों तक पहुँचने के लिए इन छोटी छोटी पुलिया  की सहायता लेनी पड़ती है। 


कंक्रीट के जंगल से अलग तोक्यो का ये इलाका अपनी हरियाली से मन मोह लेता है। साढ़े आठ बजे भी भारी संख्या में लोग सुबह की सैर करते दिखाई पड़े। वैसे भी जापानी अपने स्वास्थ को लेकर काफी सजग होते हैं।


इंपीरियल गार्डन के किनारे किनारे चलते हुए हमारी बस जापान की संसद डाइट के सामने जा पहुँची। भारतीय संसद की तुलना में ये एक छोटी इमारत है और इसके शिल्प में यूरोपीय वास्तुलकला की सीधी छाप दिखाई देती है।


तोक्यो दर्शन से जुड़ी आगामी प्रविष्टियों में बाकी है बाते Senso Ji और Tokyo Railway की।
 
तोक्यो दर्शन (Sights of Tokyo) की सारी कड़ियाँ

8 टिप्‍पणियां:

  1. हर स्थान क़रीने से व्यवस्थित

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  2. never knew the Japanese MPs are also known as "Dietitian"!!..no wonder why the countrymen are so healthy (mentally as well as physically!!

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    1. हम्म् 'डाइट' से 'डाइटीशियन' हा हा सही कहा आपने !

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  3. बहुत सुन्दर और सजीव वर्णन!इस देश का अनुशासन और व्यवस्था जो है वह अनुकरणीय है ना! घर में बैठे ऐसी सुखद यात्रा कराने के लिए धन्यवाद मनीष जी!

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  4. wow some interesting buildings..japanese really are a bit eccentric !!

    http://www.myunfinishedlife.com

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  5. such a beautiful pictures..Japans culture has inspired the whole world with its simplicity and worthiness.Thank you for sharing such fabulous pics with insight...

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  6. जापान बहुत ही व्यवस्थित देश है.....

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